अगलगी से बचाव : जनसाधारण को सलाह
अगलगी से बचाव : जनसाधारण को सलाह
औरंगाबाद. राज्य के साथ इस जिलें में भी पछुआ हवा चलने के कारण गर्मी की तीव्रता बढ़ रही है इसके वजह से अगलगी की घटनाओं में वृद्धि होने की संभावना प्रतीत होती है। अगलगी के कारण न केवल घरों, खेतों,
खलीहानों तथा खड़ी फसलों का नुकासान होता हैए बल्कि बहुमुल्य मानव तथा पशु भी अग्नि के चपेट में आ जाते हैं। वैसे देखा जाय तो औरंगाबाद जिला भी अगलगी की दृष्टि से हाॅट-स्पाॅट जिला माना जाता है। इससे बचाव हेतु जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण/जिला प्रशासन द्वारा अगलगी से बचाव हेतु जनसाधारण को यह सलाह दिया जाता है कि
दिन का खाना 9ः00 बजे सुबह से पूर्व तथा रात का खाना शाम 6ः00 बजे के बाद बना ले।
फसल कटनी के बाद खेत में छोडे डंठलों में आग नहीं लगावें
हवन आदि का काम सुबह निपटा लें।
भोजन बनाने के बाद चूल्हें की आग पूरी तरह बूझा दें।
रसोई घर यदि फूस का हो तो उसकी दिवाल पर मिट्टी को लेप अवश्य कर दे।
आग बूझाने के लिए बालू अथवा मिट्टी को बोरे में भरकर तथा दो बाल्टी पानी अवश्य रखें।
शाॅट-शर्किट को आग से बचाने के लिए बिजली वायरिंग की समय पर मरम्मत करा लें।
मवेशियों को आग बचाने के लिए मवेशि घर के पास पर्याप्त मात्रा में पानी का इंतजाम एवं निगरानी अवश्य करते रहे।
जलती हुई माचिस की तिल्ली अथवा अधजली बिडी एवं सिगरेट पी कर इधर-उधर न फेकें।
खाना बनाते समय हमेशा सूती कपड़ा पहनकर ही खाना बनाए। ढीले-ढाले और पाॅलीशटर के कपड़ा पहनकर खाना न बनाए।
इसके अतिरिक्त जिला प्रशासन द्वारा अगलगी होने पर 101 डायल करें। जिससे समय रहते जिलें
की फायर स्टेशन की गाड़ियाॅ मौके पर पहूच सके। जिससे आग पर काबू पाया जा सके। साथ ही अनुमंडल अग्निशामालय औरंगाबाद एवं दाउदनगर क्षेत्रान्र्तगत पदाधिकारीयों /कर्मीयों का दूरभाष संख्या/ मोबाईल नं0 भी जारी की जाती है।
पदनाम मोबाईल नं0
फायर स्टेशन, औरंगाबाद 06186-295101, 7485805920
जिला अग्लिशमन, पदाधिकारी 9473191910
फायर स्टेशन आॅफिसर, औरंगाबाद 9546237870
प्रधान चालक 7764059823
अग्निक, औरंगाबाद 7004025227
फायर स्टेशन, दाउदनगर 06328-295028, 7485805922
फायर स्टेशन आॅफिसर, दाउदनगर 9801472725
अग्निक, दाउदनगर 765476726
जन साधारण से अपील किया जाता है कि उपरोक्त नम्बरों को अपने पास अवश्य रखें। तथा अगलगी होने पर किसी भी समय सम्र्पक स्थापित कर समय रहते हुए आग पर काबू पाया जा सकता है। जिससे जान-माल की क्षति के साथ बहुमूल्य समान को बचाया जा सकता है।