2 मई तक खिंचेगा प्री-मानसून सा मौसमी अंदाज: जानें बातें ख़ास 

2 मई तक खिंचेगा प्री-मानसून सा मौसमी अंदाज:

जानें बातें ख़ास 

(राजेंद्र पाठक,सीतयोग न्यूज )

औरंगाबाद. इनदिनों मौसम के मिजाज में उतार चढ़ाव कुछ ज्यादा ही दिख रहा है। इस उतार चढ़ाव से कभी तापमान बहुत तेज हो जाता है तो कभी काफी कम। 
पिछले १० दिनों में वेदर अलर्ट कई दफा हुआ है और अलग अलग हालातों की संभावना जताई गई है। 
  आइये जानते हैं वैसाख के महीने में होने वाले मौसमी परिवर्तन से जुड़े कुछ तथ्यों बारे में ---

1.  आने वाले गर्मी के मौसम में हीटवेव पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा परेशान करेगी. बढ़ती गर्मी के चलते फसलों के नुकसान का खतरा भी मंडरा रहा है. वैज्ञानिकों के अनुसार, मौजूदा मौसम की स्थिति के लिए 'ग्लोबल वार्मिंग' जिम्मेदार है. वैश्विक औसत तापमान में निरंतर वृद्धि पश्चिमी विक्षोभ जैसी बड़ी मौसम संबंधी घटनाओं की गतिशीलता को प्रभावित कर रही है.

2.  मौसम विज्ञानियों के अनुसार, तापमान और बारिश में असमानता/विसंगति मौसम के मिजाज में बदलाव का परिणाम है. इस सर्दी के मौसम में पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) की तीव्रता भी कम रही है. हालांकि, नवंबर के मध्य तक पश्चिमी विक्षोभ की इंटेंसिटी और फ्रीक्वेंसी पश्चिमी हिमालय में बढ़ने लगी थी, लेकिन फिर भी उसका असर ज्यादा देखने को नहीं मिला.

3 . वैशाख के महीने में होने के कारण पश्चिम बंगाल में इसे 'काल वैशाखी' कहा जाता है । ग्रीष्म ऋतु के अंत में कर्नाटक एवं केरल में प्राय: पूर्व - मानसूनी वर्षा होती है। इसके कारण आम जल्दी पक जाते हैं तथा प्राय: इसे 'आम्र वर्षा' भी कहा जाता है। के प्रारंभ में उत्तरी मैदानों में निम्न दाब की अवस्था तीव्र हो जाती है.

4. लोगों के बीच एक चर्चा और आशंका है रूस यूक्रेन युद्ध के लम्बे समय तक जारी रहना। 

5 . क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन को लेकर --  " 2017 तक, 95 प्रतिशत टीवी वेदरकास्टर्स इस बात से सहमत थे कि जलवायु वास्तव में बदल रही है। 2020 तक, 80 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि मानव गतिविधियां ही इसकी एकमात्र  प्रमुख कारण हैं। "
  भविष्य की जलवायु की भविष्यवाणी करने के लिए, वैज्ञानिक यह समझने के लिए जलवायु मॉडल नामक कंप्यूटर प्रोग्राम का उपयोग करते हैं कि हमारा ग्रह कैसे बदल रहा है। जलवायु मॉडल कंप्यूटर में प्रयोगशाला की तरह काम करते हैं। वे वैज्ञानिकों को यह अध्ययन करने की अनुमति देते हैं कि किसी क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित करने के लिए विभिन्न कारक कैसे परस्पर क्रिया करते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप चौबे के मुताबिक अगले  2 मई तक खिंचेगा प्री-मानसून सा यह मौसमी अंदाज, तापमान में गिरावट पर उन कृषि कार्यों में असर जिनका निपटारा उच्च तापमान के बीच होता है। 
मौसम अथवा जलवायु चूँकि प्रकृति से जुड़ा हुआ विषय है इसलिए इसकी पूरी समझ विकसित करने की बात आसान नहीं हो सकती पर जितनी जानकारियां आज मौजूद हैं उस हिसाब से दो बातें ख़ास हैं एक यह कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है और दुसरा यह कि मानवीय गतिविधियां,इस प्रकृति के लिए जवाबदेह ठहराई जा रहीं हैं।