असुरक्षित नहीं फेकें किसी बच्चे को,दें 'आरोहण' को : डीएम
असुरक्षित नहीं फेकें किसी बच्चे को,दें 'आरोहण' को : डीएम
औरंगाबाद. डीएम सौरव जोरवाल ने लिया आरोहण नामक अडॉप्शन एजेंसी का जायजा,बच्चों की देखरेख और आगे के इंतजामों को लेकर संचालिकाओं को दिए निर्देश . लोगों से अपील कि किसी बच्चे को कोई असुरक्षित तरीके से नहीं फेकें बल्कि उसे 'आरोहण' संस्थान के बाहर लगे झूले में, या किसी अस्पताल में अथवा पुलिस थाना में ही रखें.
जिला पदाधिकारी, सौरभ जोरवाल एवं सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई, औरंगाबाद द्वारा समाज कल्याण विभाग के अन्तर्गत किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 65 के अधीन शहर के कर्मा रोड में बी. एल. इण्डो स्कूल के सामने स्थित 'आरोहण' विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान (Specialized Adoption Agency) का निरीक्षण किया गया।
निरीक्षण के दौरान उक्त संस्थान में 09 बच्चे (विशेष आवश्यकता वाले 03 बच्चे, 4 नवजात शिशु एवं 1 बालक, उम्र – 4 वर्ष तथा 01 बालिका उम्र – 6 वर्ष सहित) आवासित थे। निरीक्षण के दौरान समन्वयक, सामाजिक कार्यकर्त्ता, आया आदि विभिन्न कर्मी भी मौजूद थे। जिला संस्थान में आवासित 2 बालक / बालिका के अभिभावक का पता लगा कर उन्हें पुनर्वासित कराने का निदेश जिला पदाधिकारी द्वारा सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण
इकाई को दिया गया।
साथ ही मौजूद कर्मियों को सभी बच्चों का उपयुक्त तरीके से देख-भाल करने हेतु भी निदेशित किया गया। विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान में 0-6 वर्ष के देखरेख एवं संरक्षण के जरुरतमंद 10 बच्चों का आवासन कराया जाता है। जिले के अनाथ निराश्रित एवं परित्यक्त बच्चे जिनके माता/पिता / अभिभावक / रिश्तेदार की खोज नहीं की जा सकती वैसी बच्चों को दत्तकग्रहण विनिमय, 2022 के प्रावधानानुसार उपयुक्त दम्पति को कानूनी रूप से गोद दिया जाता है। अवैध रुप से गोद लेना एवं देना दंडनीय अपराध है। अनाथ निराश्रित एवं परित्यक्त बच्चों को गोद देने हेतु जिले में विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान फैसिलिटेशन सेन्टर के रूप में कार्य करती है।
बताया गया कि गोद लेने वाले कोई भी इच्छुक दम्पति अपना ऑनलाईन निबंधन Central Adoption Resource Authority के बेवसाईट पर करा सकते हैं। गोद लेने देने की सारी प्रक्रिया ऑनलाईन है। जिला पदाधिकारी द्वारा सभी आम जनों से अपील भी किया जाता है कि बच्चे को असुरक्षित तरीके से नहीं फेकें बल्कि उसे 'आरोहण' विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान के बाहर लगे झूले में, किसी अस्पताल में अथवा पुलिस थाना में ही रखें।
जिला पदाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि सभी प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी के साथ-साथ निजी अस्पताल संचालक एवं कर्मचारियों की वैधानिक जिम्मेदारी है कि ऐसे बच्चों के प्राप्त होते ही इसकी सूचना बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई को दें अथवा समिति के समक्ष प्रस्तुत करें। जानकारी छुपाने अथवा अवैध तरीके से बच्चे को किसी को गोद देने अथवा बेचने आदि की सूचना प्राप्त होने पर उस व्यक्ति के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी।