भक्ति, ज्ञान व यज्ञ के माध्यम से बड़ा जा सकता है मनुष्यता की ओर.

भक्ति, ज्ञान व यज्ञ के माध्यम से बड़ा जा सकता है मनुष्यता की ओर.

बाबा बिहारी दास के संघत परिसर में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा की शुरुआत हुई. पहले दिन की कथा में ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. पगड़ी वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध वृंदावन धाम के अंतरराष्ट्रीय कथावाचक अनुराग कृष्ण जी महाराज ने जीवन जीने की कला पर विस्तार से प्रकाश डाला. यह उनका 200वां कथा प्रवचन है. उन्होंने पेड़, पशु और मनुष्य के अंतर को समझाते हुए कहा कि पेड़ के पास न गति है न दिशा, पशु के पास गति है, लेकिन दिशा नहीं, जबकि मनुष्य के पास दोनों होते हैं. लेकिन मनुष्य जब चाहे, पशुता की ओर भी जा सकता है.ऐसे में भक्ति, ज्ञान और यज्ञ के माध्यम से ही मनुष्यता की ओर बढ़ा जा सकता है.बचपन में मां, जवानी में महात्मा और बुढ़ापे में परमात्मा का विशेष महत्व होता है. उन्होंने कहा कि हम दो तरह के जीवन जीते हैं—एक तीर्थ बनाकर और दूसरा तमाशा बनाकर. तीर्थ बनाकर जीने वाले ‘तीर्थंकर’ बनते हैं, जबकि तमाशा बनाकर जीने वाले जीवन को बर्बाद कर बैठते हैं.एक सुदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे दर्जी कपड़े को काटता है तो उसका सुंदर वस्त्र बनता है, लेकिन चूहा काटे तो कपड़े का विनाश हो जाता है, ठीक वैसे ही जीवन को भी सावधानी से जीना चाहिए. मौके पर नगर पर्षद की मुख्य पार्षद अंजलि कुमारी, थानाध्यक्ष विकास कुमार,वार्ड पार्षद सोनी देवी, स्वर्णकार आभूषण व्यवसायी संघ दाउदनगर के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद सर्राफ, शिव कुमार, रवि पांडेय और रवि मिश्रा,राजन आर्य,अजय कुमार आदि उपस्थित थे.